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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 25 
जिसका सबको इंतजार था , वो घड़ी आ गई थी । सरकारी वकील नीलमणी की बहस का जवाब देने के लिए हीरेन जासूस अदालत में अपनी सीट से खड़े हो गए । उनके खड़े होते ही अदालत में मौजूद लोगों ने करतल ध्वनि से उनका अभिवादन किया । जन समर्थन पाकर हीरेन जासूस का मनोबल और बढ गया । अपनी बहस आरंभ करते हुए वे कहने लगे 

"योर ऑनर, मेरे काबिल दोस्त और विद्वान सरकारी वकील ने बिल्कुल सही कहा था कि इस देश में नारियों का बहुत सम्मान है क्योंकि इस देश की नारियां महासती, पतिव्रता और महाचरित्रवान होती हैं । जब भी कभी त्याग, सेवा, बलिदान की बात चलती है तब किसी न किसी पन्नाधाय, सावित्रीबाई फुले और रानी पद्मिनी की चर्चा होती है । माता अनुसूइया, अरुंधति , सीता , द्रोपदी, कुंती, मंदोदरी, सावित्री , रानी दुर्गावती, लक्ष्मीबाई, गार्गी जैसी स्त्रियों ने न केवल इस देश का अपितु नारी जाति का नाम तीनों लोकों में अमर कर दिया है । 

क्षमा, धैर्य, परिश्रम, लाज , साहस का दूसरा नाम है भारतीय नारी । यह भारतीय नारी ही है जिसने कभी स्वयं पर ध्यान नहीं दिया बल्कि सदैव परिवार, समाज और देश के लिए ही कार्य किया है । ऐसी ममतामयी, प्रेम का सागर और आदर्श की प्रतिमूर्ति नारी का जिस तरह अपमान , चीरहरण इस अदालत में मेरे विद्वान साथी नीलमणी त्रिपाठी ने मंगल सिंह की पटकथा के आधार पर किया है वह अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है । मुझे नहीं पता कि यह अपराध उन्होंने अनजाने में किया है या जानबूझकर । मगर अपराध तो किया ही है उन्होंने । वकील होने का मतलब यह नहीं है कि किसी स्त्री पर भरी अदालत में अनर्गल आरोप लगाकर उसे सार्वजनिक रूप से निर्वस्त्र किया जाये । न्याय के नाम पर उसका भरी सभा में बलात्कार किया जाये । उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले तर्क गढ़े जायें और उसका चरित्रहनन कर उसे शर्मसार किया जाये । इसकी इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है मी लॉर्ड, वह चाहे वकील हो , पुलिस हो या न्यायाधीश हो । स्त्री का सम्मान बनाए रखने की जिम्मेदारी सबसे अधिक अदालतों की ही होती है । यदि अदालतों में ही स्त्री को बेइज्जत किया जाएगा तो स्त्री न्याय मांगने कहां जाएगी योर ऑनर ? क्या इस पर आप जैसे न्यायप्रिय व्यक्ति को विचार करने की आवश्यकता नहीं है ? 

स्त्री सदैव से ही पुरुषों के निशाने पर रही है । यह उसका दुर्भाग्य रहा है कि वह जिसे जन्म देती है वही पुरुष उसका शोषण करने लग जाता है । उस पर अत्याचार करता है । उस पर कुदृष्टि डालता है और उसे पाने के लिए वह किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हो जाता है । उसके साथ रमण करने के लिए वह साम, दाम, दण्ड, भेद सब तरह की युक्ति अपना लेता है । वह परिवार, समाज , नीति , कानून आदि किसी की भी परवाह नहीं करता है । 

स्त्री को पाने के लिए अब तक न जाने कितने ही युद्ध लड़े गये हैं । कितने ही षड्यंत्र रचे गये हैं । माता अहिल्या को पाने के लिए देवराज इंद्र ने चंद्रमा के साथ कैसा षड्यंत्र रचा था ? महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य के विवाह के लिए काशीराज की तीनों राजकुमारियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का अपनी शक्ति के आधार पर अपहरण कर लिया था । राजकुमारी भानुमति के स्वयंवर में जब भानुमति ने राजा दुर्योधन का वरण नहीं किया तो दुर्योधन ने उसका अपहरण कर उसके साथ बलात विवाह किया था । यह सब कृत्य पुरुष की मदांधता को ही बयां करते हैं । 

रावण का कृत्य तो सबको ज्ञात ही है । माता सीता को पाने के लिए उसने मामा मारीच के साथ षड्यंत्र रचकर उनका एक साधु बनकर अपहरण कर लिया था । अपने आप को वीर कहलाने वाले व्यक्ति का वह कृत्य कायरों से भी बदतर था । माता सीता उस लंका में इतने सारे राक्षसों से घिरी हुई अकेली ही रही थीं । ऐसी स्थिति में भी माता सीता ने अपने मान सम्मान और चरित्र की जिस तरह रक्षा की थी वह आज भी स्त्रियों के लिए प्रेरणादायक है । रावण ने उन्हें कितना डराया , धमकाया, प्रताड़ित किया किन्तु वे अपने आचरण पर दृढ प्रतिज्ञ रहीं । उन्होंने रावण की ओर देखा तक नहीं । भारतीय स्त्रियों का चरित्र माता सीता की ही तरह पवित्र होता है योर ऑनर । 

अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ की रानी पद्मिनी को पाने के लिए क्या क्या नहीं किया ? चित्तौड़गढ किले को चारों ओर से घेर लिया । महीनों तक वह किले को घेरे खड़ा रहा । बाद में उसने षड्यंत्र पूर्वक चित्तौड़गढ के महाराणा रतन सिंह को बंदी बना लिया । बाद में रानी पद्मिनी ने अपने भाई गोरा और भतीजे बादल की सहायता से राणा रतन सिंह को अलाउद्दीन की कैद से छुड़वाया और जौहर करके अपने सम्मान की रक्षा की । ऐसी होती हैं भारतीय नारियां । अपने मान सम्मान पर जरा भी आंच नहीं आने देती हैं वे । 

इस तरह जब चरित्रवान स्त्रियों का चीर हरण भरी अदालत में होता है तब सिर शर्म से झुक जाता है । मेरी मुवक्किल अनुपमा का क्या दोष है ? यही ना कि वे एक महिला हैं । हां, एक दोष मुझे भी नजर आता है उनमें और वह यह है कि वे अत्यंत सुन्दर हैं । वे मेनका से भी अधिक सुंदर हैं । बस यही एकमात्र दोष है उनका । 

सुन्दरता तो भगवान का दिया हुआ एक वरदान होती है । किन्तु यही सुन्दरता कभी कभी किसी स्त्री के लिए अभिशाप बन जाती है । इस केस में यही हो रहा है । अनुपमा जैसी अति सुन्दर महिलाओं के लिए यह सुन्दरता एक अभिशाप बन गई है । ईश्वर ने उन्हें सौन्दर्य का खजाना भर भरकर सौंपा है तो इसमें इनका क्या दोष है ? खजाने को देखकर कुछ चोर उचक्के लोगों के मुंह में पानी आ ही जाता है और फिर ये चोर उचक्के इस खजाने को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं । क्या इसमें उस खजाने का कोई दोष है ?  इस केस में भी यही हुआ है मी लॉर्ड । 

मेरे काबिल दोस्त ने अपनी बहस में जो "मनोहर कहानी" सुनाई थी वह वाकई बेमिसाल, लाजवाब और अद्भुत है । यह मानना पड़ेगा कि मेरे काबिल दोस्त एक वकील कम और एक प्रसिद्ध कहानीकार अधिक हैं । यदि मेरे काबिल दोस्त कहानी लिखना शुरू कर दें तो मेरा दावा है कि वे एक दिन एक महान कथाकार अवश्य बन सकते हैं और हो सकता है कि वे एक दिन साहित्य का नोबेल पुरूस्कार भी प्राप्त कर लें । उन्होंने सक्षम, अनुपमा और अक्षत को लेकर जो कहानी इस अदालत में सुनाई है उस पर एक फिल्म बन सकती है । फिल्म का नाम मैं सुझा सकता हूं । इस फिल्म का नाम "पति, पत्नी , प्रेमी और कत्ल" रखा जा सकता है । इस फिल्म के निर्माता थानेदार मंगल सिंह हैं और निर्देशक हैं वकील नीलमणी त्रिपाठी । वकील साहब की कहानी बहुत दमदार है । इस कहानी में प्यार भी है, सस्पेंस भी है , हॉरर भी है और रोमांच भी है । शुरू से लेकर आखिर तक कहानी मनोरंजन से भरपूर है । मेरा दावा है कि यह फिल्म जब बाजार में आएगी तो धूम मचा देगी और सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित करेगी । वकील साहब को इस कहानी पर यह फिल्म अवश्य बनानी चाहिए । 

परन्तु वकील साहब शायद यह बात भूल गये कि यह एक अदालत है कोई सिनेमा हॉल नहीं है । यहां कहानियों, इमोशंस और लचर दलीलों के आधार पर निर्णय नहीं होते अपितु ठोस सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर होते हैं । विद्वान सरकारी वकील साहब ने ऐसा एक भी ठोस सबूत, गवाह प्रस्तुत नहीं किया है जिसके आधार पर मेरे किसी भी मुवक्किल को दोषी ठहराया जा सके । सबूत के नाम पर क्या है उनके पास ? अनुपमा जी की तस्वीरों और उनके अंगवस्त्रों को सबूत के रूप में प्रस्तुत करने से क्या यह सिद्ध हो जाता है कि अक्षत और अनुपमा के मध्य कोई शारीरिक संबंध थे ? क्या उन्होंने कोई चश्मदीद गवाह प्रस्तुत किया है ? नहीं ना ! तो फिर वे कैसे कह सकते हैं कि अनुपमा और अक्षत के मध्य अवैध संबंध थे ? यह केवल मेरे मुवक्किल को बदनाम करने का एक षड्यंत्र मात्र है इससे अधिक और कुछ नहीं है । इसके अतिरिक्त उनकी दलीलें वैसी ही सोच को प्रकट करती हैं जैसी सोच मर्दों की औरतों को लेकर प्रकट होती आई है अब तक । 

सरकारी वकील साहब की दलीलों का एकमात्र आधार एफ एस एल की वह रिपोर्ट है जिसमें बैडशीट के धब्बे का मिलान अक्षत के वीर्य से होता है । इस रिपोर्ट के अतिरिक्त अन्य एक भी ऐसा सबूत नहीं है जो उनकी कहानी का समर्थन कर सके । क्या सरकारी वकील साहब ने ऐसा कोई एक भी दस्तावेज प्रस्तुत किया है जो यह साबित कर सके कि 31 मई की रात को मेरी मुवक्किल अनुपमा अपने घर में थी ? सरकारी वकील साहब ने अपनी कहानी में बताया था कि 31 मार्च को अनुपमा साढे चार बजे अपने होटल से निकली । उन्होंने उस होटल के रजिस्टर की कॉपी पेश की है जिस पर चैक आउट टाइम लिखा गया है और उन्होंने उस होटल के सीसीटीवी का फुटेज भी प्रस्तुत किया था । सीसीटीवी की फुटेज वगैरह और मिस रजनी वर्मा के बयानों से यह सिद्ध हो रहा है कि अनुपमा ने 31 मई को अपरान्ह 4.30 बजे होटल छोड़ दिया था । यहां तक अंनकी बात बिल्कुल सही है और इसे मैं भी स्वीकार करता हूं । 

पर बात आगे की है । सरकारी वकील साहब ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया है कि अनुपमा किस टैक्सी से नोएडा स्थित अपने घर में आई ? क्या उन्होंने उस टैक्सी ड्राइवर के बयान करवाये हैं जिससे वे अनुपमा का आना बता रहे हैं ? और उससे भी मजेदार बात यह बताई है कि कत्ल करने के बाद अनुपमा फिर से एक टैक्सी से चंडीगढ चली गई और सीधे एयरपोर्ट पहुंच गई  । इस बाबत भी कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया है उन्होंने । सिर्फ जुबानी जुगाली करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं किया है उन्होंने । उनका सारा दारोमदार उस रिपोर्ट पर है जिसमें उस बैडशीट के धब्बे का मिलान अक्षत के सीमन से होता है । बाकी समस्त बातें मनघड़ंत हैं । क्या मनघड़ंत बातों से निर्णय होने लगा है आजकल कोर्ट में ? 

योर ऑनर  ! सरकारी वकील साहब ने अदालत में आधा सत्य ही दिखाया है और आधा सत्य छुपा लिया है । बिल्कुल उसी तरह जैसे महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के मुंह से अर्द्ध सत्य कहलवाया था । एक अश्वत्थामा नामक हाथी को भीम से मरवा दिया था और शोर मचवा दिया कि अश्वत्थामा मारा गया । जब यह बात द्रोणाचार्य ने सुनी तो इस बात की पुष्टि करने के लिए वे युधिष्ठिर के पास गये और उनसे पूछा कि क्या अश्वत्थामा वास्तव में मारा गया है ? जवाब में युधिष्ठिर ने इतना ही कहा कि अश्वत्थामा मारा गया , ये पता नहीं है कि वह हाथी था या कोई आदमी ? उनका आधा वाक्य ही द्रोणाचार्य सुन पाये थे शेष आधा वाक्य सुन नहीं पाए थे क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने आधे वाक्य के पश्चात बहुत सारे वाद्य यंत्र बजवा दिए थे । सरकारी वकील साहब ने वही महाभारत वाली बात यहां की है । अदालत को मैं पूर्ण सत्य बताता हूं । 

31 मई को अपरन्ह साढ़े चार बजे अनुपमा उस होटल से बाहर निकली और एक टैक्सी में जा बैठी । उस होटल की सीसीटीवी के ये फुटेज हैं जिन्हें सरकारी वकील ने प्रस्तुत नहीं किया है । इस फुटेज में वह टैक्सी और उसके नंबर भी दिखाई दे रहे हैं जिसमें अनुपमा जाकर बैठी थी" । हीरेन ने वे फुटेज जज साहब को दे दिए । जज साहब ने वे फुटेज देखे जिसमें उस टैक्सी का नंबर स्पष्ट नजर आ रहा था "CH01 TA 1458" । 

हीरेन फिर से बहस करते हुए बोला कि उस टैक्सी का रजिस्ट्रेशन कार्ड मेरे पास है । यह टैक्सी मनोज कुमार की है और यह रहा मनोज कुमार का ड्राइविंग लाइसेंस । टैक्सी का रजिस्ट्रेशन नंबर और मनोज का ड्राइविंग लाइसेंस कोर्ट को देते हुए हीरेन बोला "यह टैक्सी साढे चार बजे उस होटल से चली और वह चंडीगढ में ही एक दूसरे होटल "विजयंत" में सवा पांच बजे पहुंची जिसका सबूत यह सीसीटीवी फुटेज है जिसमें वही टैक्सी , उसके नंबर और उसमें से अनुपमा उतरती हुई दिखाई दे रही है । 

उस रात अनुपमा उसी होटल विजयंत में रुकी और सुबह पांच बजे वह दूसरी टैक्सी से चंडीगढ एयरपोर्ट जाने के लिए उस होटल से निकली । ये एक और सीसीटीवी फुटेज है जिसमें दूसरी टैक्सी के नंबर दिखाई दे रहे हैं और अनुपमा उस टैक्सी में बैठते हुए दिखाई दे रही है । इसके अतिरिक्त ये एयरपोर्ट के सीसीटीवी फुटेज है जिसमें 5.45 AM पर वही टैक्सी एयरपोर्ट पर आती हुई और उसमें से अनुपमा उतरती हुई दिखाई दे रही है । इस प्रकार सरकारी वकील श्रीमान नीलमणी त्रिपाठी की झूठ पर आधारित सनसनीखेज कहानी इन साक्षात सबूतों से हवा में ही धराशाई हो जाती है 

ये मनोज और सुशील दोनों टैक्सी ड्राइवर हैं जो आज इस अदालत में उपस्थित हैं । जिनके बयान अभी कराये जाने हैं जो इस बात की तस्दीक करेंगे कि वे अनुपमा को उस दिन कहां से कहां लेकर गये थे । सरकारी वकील साहब चाहें तो इनसे पूछताछ कर सकते हैं" । 

हीरेन ने अपनी आदत के अनुसार जज साहब की ओर देखकर अपने लंबे बालों को झटक कर पीछे की ओर किया और उनमें उंगली फिराने लगा । उसके होंठ सीटी की आवाज में बुदबुदा रहे थे "हमसे ना टकराना , हमसे है जमाना" । उसकी आंखों में सत्यता की चमक थी । सरकारी वकील का चेहरा उतरा हुआ था । उन्होने ड्राइवरों से जिरह करने से मना कर दिया । 

श्र हरि 
19.6.23 

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14 Comments

Gunjan Kamal

24-Jun-2023 12:26 AM

👏👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2023 10:05 AM

🙏🙏

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Shnaya

23-Jun-2023 11:41 PM

V nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2023 10:04 AM

🙏🙏

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Varsha_Upadhyay

23-Jun-2023 03:06 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2023 10:04 AM

🙏🙏

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